हरियाणा के मुख्यमंत्री ने किसानों से किया जल - संरक्षण का आह्वान

  " मेरा पानी-मेरी विरासत योजना" के लाभार्थियों से किया संवाद  



हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने एक अप्रैल 2023 को चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास से ऑडियो कांफ्रेंस के माध्यम से " मेरा पानी-मेरी विरासत योजना" के लाभार्थियों से संवाद करते हुए प्रदेश के लोगों से जल -संरक्षण करने का आह्वान किया। 

उन्होंने लाभार्थी किसानों से कहा कि धरती को जलसंकट से बचाने की दिशा में सरकार कदम उठा रही है, सभी लोगों को भी इसमें साथ देना चाहिए। उन्होंने प्रगतिशील व जागरूक किसानों द्वारा इस योजना को अपनाकर लाखों गैलन पानी की बचत करने की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान समय में नदियां सूख रही हैं और भूमिगत जल भी समाप्ति की ओर है। 

हरियाणा में भी भूजल स्तर लगातार गिरने से 36 ब्लॉक डार्क जोन में आ गये हैं।

उन्होंने बताया कि हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने भूजल उपलब्धता की ग्रामवार रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि प्रदेश के कुल 7,287 गांवों में से 3,041 गांव पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। 

इनमें से 1,948 गांवों में भूजल गंभीर स्तर तक नीचे चला गया है। जल की कमी इसी तरह बढ़ती रही तो अन्न उपजाना तो दूर,पीने के लिए पानी भी नहीं बचेगा और आने वाली पीढ़ियों को भयंकर सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संकट से बचने और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी पानी छोड़कर जाने के उद्देश्य से  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी आह्वान किया था कि जल संरक्षण के लिए एक जन-आंदोलन की शुरुआत करें।

 उन्होंने कहा कि इसी आह्वान से प्रेरणा लेते हुए हमने हरियाणा में एक अनूठी योजना ‘‘मेरा पानी मेरी विरासत” का शुभारंभ 6 मई, 2020 को किया था। इस योजना में अधिक पानी से उगने वाली धान की फसल के स्थान पर खरीफ सीजन-2020 में कम पानी से उगने वाली फसलें जैसे कि मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां व फल लगाने पर बल दिया गया है।

 इसी प्रकार, खरीफ सीजन-2021 में हमने मक्का, कपास, तिलहन, दलहन, प्याज, चारे के साथ-साथ खाली रखी गई कृषि भूमि को भी शामिल किया। खरीफ सीजन-2022 में इनके साथ पॉपलर व सफेदा को शामिल किया गया। 

उन्होंने किसानों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने सरकार की बात मानते हुए इस योजना में पिछले 3 सालों में 1 लाख 74 हजार 464 एकड़ भूमि पर धान की जगह वैकल्पिक फसलें उगाई हैं।

वर्ष      :    फसल विविधिकरण के तहत क्षेत्र : किसानों की संख्या : वित्तीय सहायता

2020              63,743 एकड़     41,947           45 करोड़ रु.

2021              51,896 एकड़     32,186           31 करोड़ रु.

2022              58,825 एकड़     34,239           41.22करोड़ रु.

कुल              1,74,464 एकड़   1,08,372       117.32करोड़ रु.


 उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत प्रदेश में 5,195 एकड़ क्षेत्र में खेती के साथ-साथ पॉपलर और सफेदा जैसे पेड़ लगाये गये हैं।

वर्ष 2020 से 2022 तक फसलवार विविधिकरण का विवरण -

वर्ष/फसल          2020             2021              2022              कुल (एकड़)

मक्का             4,580             1,916             1,406             7,902

कपास             41,159           28,826           24,214             94,199

बाजरा             10,237           --               --                   10,237

खरीफ दालें         348              1,126             594               2,068

खरीफ तिलहन    --                   384                 276               660

सब्जियां          5,399             6,955            9,228                21,582

चारा              --                12,689           17,912                30,601

पॉपलर व सफेदा     --                 ----             5,195                 5,195

कुल              63,743           51,896           58,825           1,74,464

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने बताया कि फसल विविधिकरण करने वाले किसानों को इस योजना के तहत 7,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।  

किसानों को यह प्रोत्साहन राशि दो किस्तों में सीधे बैंक खातों में दी गई है। पहली किस्त मेरा पानी-मेरी विरासत पोर्टल पर पंजीकरण के समय 2,000 रुपये और दूसरी किस्त फसल पकने पर 5,000 रुपये दी जाती है। 

उन्होंने बताया कि हमारा लक्ष्य हर वर्ष धान के रकबे में से 2 लाख 50 हजार हैक्टेयर भूमि पर वैकल्पिक फसलों की बुआई करवाने का है।

उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्य सरकार का सहयोग करें और धान की जगह कम पानी की खपत वाली फसलें उगाने के लिए मेरा पानी-मेरी विरासतपोर्टल पर पंजीकरण करवाएं।

उन्होंने जागरूक किसानों से आह्वान किया कि आपने इस योजना को अपनाकर इसका लाभ उठाया है। मैं आपसे भी अनुरोध करता हूं कि अन्य किसानों को इस योजना का लाभ बताएं और उन्हें कम पानी की खपत वाली फसलें उगाने के लिए प्रेरित करें।

मुख्यमंत्री ने आगे जानकारी दी कि धान की खेती के लिए सीधे बिजाई करने से भी पानी की 20 से 25 प्रतिशत तक बचत होती है। इसलिए सरकार ने धान की सीधी बिजाई हेतु 4,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता देने का प्रावधान किया है।

 उन्होंने उन किसानों का धन्यवाद किया जिन्होंने  खरीफ-2022 में, 72,000 एकड़ क्षेत्र में धान की सीधी बुवाई करके 31,500 करोड़ लीटर पानी की बचत की। उन किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से 29करोड़ 16 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन खण्डों में भूजल स्तर नीचे चला गया है और वहां धान की जगह अन्य फसल उगाने वाले किसान यदि ‘‘बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली’’ को अपनाते हैं तो उन्हें सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों की स्थापना के लिए 85 प्रतिषत सबसिडी दी जाती है।

उन्होंने कहा कि  किसान इस प्रणाली को अपनाकर अपने ब्लॉक को डार्क जोन से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं क्योंकि सबसे अधिक पानी की खपत धान की खेती में ही होती है।

 कृषि क्षेत्र में जल संरक्षण

 मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के हवा में वाष्पीकरण और भूमि में रिसाव को रोकने के लिए भूमिगत पाइपलाइन स्कीमके तहत नालों के स्थान पर पाइप लाइनें बिछाई जाती हैं। इस योजना में किसानों को 10,000 रुपये प्रति एकड़, अधिकतम 60,000 रुपये प्रति किसान अनुदान राशि दी जा रही है।

 इस योजना के तहत अब तक 1957 किसानों को 8 करोड़ 34 लाख रुपये की राशि अनुदान के रूप में दी गई है। सरकार ने अगले 3 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से गन्ने की खेती के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य भी रखा है।

उन्होंने आगे बताया कि सूक्ष्म सिंचाई से हर खेत में पानीयोजना के तहत 600 करोड़ रुपये की लागत से महेंद्रगढ़, चरखी-दादरी, भिवानी और फतेहाबाद जिलों के 9 एस.टी.पी. से उपचारित जल का सिंचाई के लिए उपयोग किया जा रहा है।

 सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये लागत की 22 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जो जून 2024 तक पूरी कर ली जाएंगी।

उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाके तहत लगभग 1 लाख एकड़ खेती योग्य कमांड क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया जा चुका है।

 वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान खेतों में लगभग 2,000 वाटर टैंक का निर्माण भी किया गया है। इस वित्त वर्ष में 4,000 वाटर टैंक बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पानी के रिसाव को रोकने के लिए पिछले 8 सालों में 1316 खालों को पक्का किया गया है। इनसे 2 लाख 57 हजार हैक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई होती है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रदेश में नहरों की सुरक्षा के लिए Real Time Data Acquisition System ( RTDAS) की शुरुआत की गई। इससे नहरों के टूटने, उनसे पानी की चोरी किये जाने अथवा उनमें गंदगी डालने आदि का भी तुरंत पता चल जाता है।

भूमिगत जल रिचार्ज

 मुख्यमंत्री ने किसानों को जानकारी दी कि प्रदेश के 14 जिलों के 36 चिह्नित खण्डों में पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भूजल सुधार के लिए अटल भूजल योजनाशुरू की गई है।

 उन्होंने कहा कि "मेरा पानी-मेरी विरासत योजना" के तहत भी भूमिगत जल स्तर को ऊंचा उठाने पर भी काम चल रहा है। इसके लिए प्रदेश के 8 डार्कजोन घोषित खंडों में 1,000 रिचार्ज कुओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 

इसी प्रकार ,प्रदेश में 86 रेन वाटर हारवेस्टिंग ढांचे बनाये गये हैं। कृष्णावती नदी और मसानी बैराज में रिचार्जिंग के लिए पानी छोड़ा जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने किसानों को अधिक से अधिक जल बचाने का आह्वान करते हुए कहा कि  जल ही जीवन है। यह बचेगा तो ही धरती पर जीवन बचेगा। 

यह बारिश के रूप में सबके लिए सुलभ है। इसलिए इसका संग्रहण करें, एक-एक बूंद पानी का सदुपयोग करें, इसे गंदा न होने दें। भूमिगत जल को भी बचाएं। 

People also ask : 


एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link in comments box

और नया पुराने