International Forest Day 2023 अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस

2कब शुरू हुआ ‘अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस’ मनाया जाना

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस’  मनाया जाना कब शुरू हुआ ? इस बारे में जिज्ञासा होना स्वाभाविक है। इसलिए हम आपको जानकारी दे रहे हैं कि 23वें यूरोपीय कृषि परिसंघ की महासभा ने वर्ष 1971 में वन दिवस मनाने का निर्णय लिया। यूएनओ ने 21 मार्च को पूरी दुनिया में ‘अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया। 

 वन हमारे लिए क्यों जरूरी हैं



वैसे तो वनों की कीमत अमूल्य है फिर भी हम सब जानते हैं कि हमारे खाने-पीने, रहने, ओढऩे-पहनने से लेकर जीवन के प्रत्येक पहलू में इनका अहम योगदान है। इनके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। वन हमारे पृथ्वी और पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतुओं और मनुष्य के लिए अनिवार्य हैं। अगर वन नहीं होंगे तो हमारा पृथ्वी पर जीवित रहना असंभव हो जाएगा। वन प्राकृतिक संसाधन है जो कुदरत ने हमको बख्शें हैं। 

प्रकृति के संतुलन के लिए वन आवश्यक

वन प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में मददगार साबित हुए हैं। वन वातावरण की शुद्धिकरण करने में सक्षम हैं। आक्सीजन, जो मनुष्य और जीव जंतुओं के जीवन के लिए अनिवार्य है, वह वनों से ही मिल रही है। वृक्षों से हमें घनी छाया मिलती है, फलों का स्वाद नसीब होता है। अगर वन नहीं होंगे तो जंगली जानवर अपने भोजन की तलाश में हमारे खेतों, घरों और सडक़ों तक आ जाएंगे।

खेती के लिए भी उपयोगी हैं वन Humidity makes forest

 वृक्षों की जड़ें उपजाऊ मिट्टी को पकडक़र रखती हंै जिससे मिट्टी का कटाव नहीं होता। अगर वन अर्थात वृक्ष नहीं होंगे तो बाढ़ आने का खतरा बना रहता है। वनों में पाए जाने वाले विशाल वृक्ष इसी भूमि कटाव को रोकते है। अगर वृक्ष नहीं होंगे तो बारिश की मात्रा में भी कमी आएगी। वन पानी का भरपूर संरक्षण करते है जिससे भूमिगत जल की समस्या उत्पन्न नहीं होती। आपको पता है कि वनों के कारण वातावरण में आद्रता बनी रहती है जिसे अंग्रेजी में ट्रांस्पिरेशन कहते है, वृक्ष जलीय वायु छोड़ते है जिसकी वजह से वातावरण में humidity बनी रहती है। यह जलीय बुँदें बारिश लाने में सक्षम होती हैं। अगर वृक्षों को काट देंगे तो भूमि कटाव बढ़ेगा। वृक्षों को अभी मनुष्य अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए काट तो रहा है परंतु भविष्य में इसके परिणाम भयानक हो सकते हैं। 

दुनियाभर में तेजी से घट रहे हैं वन 

International Forest Day 2022  : अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर आपको बता दें कि दुनियाभर में वन तेजी से घट रहे हैं। वनों के कटने की रफ्तार अगर इसी तरह से तेज रही तो मानवता व अन्य जीव-जंतुओं के लिए बड़ा संकट पैदा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में प्रति वर्ष करीब एक करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल (एक लाख वर्ग किमी ) के समान वन काटे जा रहे हैं। इतना एरिया तो दक्षिण कोरिया देश के क्षेत्रफल के समान है।

धरती के एक तिहाई भाग में वन

विश्व स्तर पर एकत्रित किए गए आंकड़ों के अनुसार वन पृथ्वी के एक तिहाई भूभाग को कवर करते हैं। दुनिया में लगभग एक अरब 60 करोड़ लोग अपनी आजीविका, दवाओं, ईंधन, भोजन और आश्रय के लिए वनों पर निर्भर करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि वन भूमि पर सबसे अधिक जैविक रूप से विविध पारिस्थितिक तंत्र हैं, जो जानवरों, पौधों और कीड़ों की 80 प्रतिशत से अधिक स्थलीय प्रजातियों का घर हैं। इतना फायदेमंद होते हुए भी मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए वनों की कटाई खतरनाक तरीके से करता जा रहा है।

ज्यादा वन सिर्फ रूस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका और चीन में

इस आर्टिक्ल के माध्यम से आपको यह भी अवगत करवा दें कि विश्व के आधे से अधिक जंगल केवल पांच देशों (रूस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका और चीन) में पाए जाते हैं और दो-तिहाई  वन दस देशों में पाए जाते हैं। जानी-मानी विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ के मुताबिक ये अनुमान लगाया गया है कि जब से मानव जाति ने करीब 12 हजार साल पहले खेती करना शुरू किया था तब से इंसानों ने दुनिया के कुल करीब छह खरब पेड़ों में से आधे को अपने हित के लिए काट डाला है।

वर्ष 2012 में 21 मार्च को घोषित किया था ‘अंतरराष्ट्रीय वन दिवस 

वनों की आवश्यकता को समझते हुए अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सभी प्रकार के वनों के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने हेतु  वर्ष 2012 में 21 मार्च को ‘अंतरराष्ट्रीय वन दिवस’ घोषित किया था। इस दिन दुनियाभर के देशों को वृक्षारोपण अभियानों से संबंधित गतिविधियों को आयोजित करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित किया जाता है। विश्व में सबसे ज्यादा वन वाले शीर्ष 10 देश हैं। इनमें रूस - 81,49,300 वर्ग किलोमीटर ,कनाडा - 49,16,438 वर्ग किमी, ब्राजील - 47,76,980 वर्ग किमी, अमेरिका - 32,00,950 वर्ग किमी, चीन - 20,83,210 वर्ग किमी, ऑस्ट्रेलिया - 14,70,832 वर्ग किमी, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांन्गो -11,72,704 वर्ग किमी, अर्जेंटीना - 9,45,336 वर्ग किमी, इंडोनेशिया - 8,84,950 वर्ग किमी, भारत - 7,13,789 वर्ग किमी का भूभाग वनों से आच्छादित है।

भारत में कितना है वन क्षेत्र

वनों के मामले में भारत की स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं कही जा सकती है। हालांकि, भारत सरकार की ओर से वन क्षेत्र को बढ़ाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, कुछ इसके सुखद नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत में वनों के एरिया में 721 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है। भारत का वन क्षेत्र अब 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है जो कि देश के भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 21.71 प्रतिशत है। 

वन खत्म हुए तो मानव जीवन पर संकट आ जाएगा

समय रहते लोग जागरूक नहीं हुए और वन लगाना आरंभ नहीं किया तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। बिना पेड़-पौधों के पुराने जंगली इलाके सूख जाएंगे, उन स्थानों पर भयंकर सूखा पडऩे लगेगा। इसके ठीक उल्ट अगर बारिश हुई भी तो बाढ़ से भारी तबाही होगी। मिट्टी का कटाव होगा, जिसका सीधा असर हमारे समुद्रों पर पड़ेगा। 

    ऐसे में एक सुधि लेखक होने के नाते मेरी भी आप सभी पाठकों से अपील है कि अपने व अपने बच्चों के जन्म दिन एवं अन्य प्रियजनों की स्मृति में विशेष अवसरों पर प्रति वर्ष कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाएं। 



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