Bihar Diwas 2023 बिहार दिवस

Bihar Diwas 2023  बिहार दिवस आज 12 मार्च 



भारत में जिस वृक्ष के नीचे बैठकर 531 ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी वह बोधि वृक्ष बिहार राज्य में है। यही नहीं इस राज्य की सरकार ने उस बोधि वृक्ष को ही बिहार का राजकीय चिन्ह घोषित कर दिया। ऐसे खुशकिस्मत राज्य के नाम अनेक उपलब्धियां हैं। राजनीति से लेकर शिक्षा और आईएएस जैसी देश की बड़ी नौकरियों में बिहार के युवाओं ने ख्याति अर्जित की है। मगध साम्राज्य के काल से लेकर देश की आजादी और इसके बाद आज तक देश की प्रगति में बिहार का योगदान अतुलनीय रहा है। हर वर्ष एक नोटिफिकेशन जारी करके बिहार दिवस पर इस राज्य में सार्वजनिक अवकाश यानी पब्लिक हॉलिडे की घोषणा की जाती है।

 बिहार दिवस का इतिहास (Bihar Diwas History)-

आप सब जानकर खुश होंगे कि आज देश की धडक़न कहे जाने वाला बिहार राज्य बौद्ध और जैन धर्म की जन्मस्थली भी है। इसी भूमि पर माता सीता व गुरूनानक देव जी ने जन्म लिया था। भारत के गौरवशाली इतिहास का साक्षी बिहार, केवल एक राज्य मात्र नहीं है, यह स्थान है वेदों और प्राकृतिक सौंदर्य का। यह एक ऐसा अनूठा राज्य है जहां पर ऐतिहासिक स्थल, उपजाऊ भूमि और विभिन्नताओं से परिपूर्ण है। 

मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने शुरू किया बिहार दिवस -

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभालने के 5 साल के बाद वर्ष 2010 में पहली बार 12 मार्च को बिहार दिवस मनाना शुरू किया ताकि लोग इस प्रदेश के स्वर्णिम इतिहास से रूबरू हो सकें।  इस बार आज से पटना में तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरूआत हो गई है। कोरोना के कारण तीन साल के बाद बिहार दिवस मनाया जा रहा है। जल जीवन और हरियाली की थीम पर राजधानी पटना के गांधी मैदान में तीन दिन तक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। इतना ही नहीं भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बहरीन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, त्रिनिदाद और टोबैगो और मॉरीशस जैसे देशों में रहने वाले बिहार के लोगों द्वारा भी बड़े पैमाने पर बिहार-दिवस मनाया जाता है।

कब बना अलग राज्य बिहार-

बिहार का इतिहास बहुत पुराना है लेकिन 1912 में बंगाल के विभाजन के कारण बिहार एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। क्षेत्रफल में काफी बड़ा होने के कारण वर्ष 1935 में इससे अलग करके एक अन्य राज्य उड़ीसा बना दिया गया। इतिहास पढऩे वाले जानते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार के चंपारण का विद्रोह अंग्रेजों के खिलाफ बगावत फैलाने में महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक मुख्य रहा है। भारत छोड़ो आंदोलन में भी बिहार की अहम भूमिका रही है। अन्य राज्यों की तुलना में बिहार का क्षेत्रफल बाद में भी काफी विस्तृत था। स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और वर्ष 2000 में इससे अलग कर झारखंड राज्य का गठन कर दिया गया। 

नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी बिहार में थे-

पुरातन काल में भारत शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी देश रहा है जहां पर विदेशों से युवा पढऩे आते थे। तत्कालीन शिक्षा के प्रमुख केंद्रों में नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय (Nalnda University and Vikramshila University in Bihar) और ओदंतपुरी विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवमयी अध्ययन केंद्र रहे हैं। आईएएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सलेक्ट होने वाले युवाओं में भी एक बहुत बड़ी संख्या आज भी बिहार के युवाओं की है।

क्या है बिहार का राज्य गीत (State-song of Bihar)

बिहार राज्य से बाहर के पाठकों को बता दें कि बिहार का अपना एक राज्य गीत भी है ‘मेरे भारत के कंठहार, तुझको शत-शत वंदन विहार’।  मशहूर कवि सत्यनारायण  द्वारा लिखित इस गीत को ऑफिशियल तौर पर मार्च 2012 में अपनाया गया था जिसको प्रख्यात बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया और प्रसिद्ध संतूर वादक शिवकुमार शर्मा ने अपने सुरों से सजाया है। 

क्या है बिहार का राजकीय चिन्ह -

ऐतिहासिक विशेषताओं को समेटे बिहार ने अपना राजकीय चिन्ह भी वह बोधि वृक्ष बनाया है जिसके नीचे गौतम बुद्घ को ज्ञान का प्रकाश मिला था। यही नहीं बिहार ने अपना राजकीय पशु बैल, राजकीय पक्षी गोरैया, राजकीय पुष्प गेंदा, राजकीय वृक्ष पीपल तथा राजकीय खेल कबड्डïी को अपनाया है। 

बिहार में क्या-क्या हैं पर्यटन स्थल- Tourist Place in Bihar

बिहार के नालंदा की ख्याति कौन नहीं जानता? दुनिया के शुरुआती विश्वविद्यालयों में से एक नालंदा विश्वविद्यालय में देश-विदेश से हजारों की संख्या में छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे। अहमद शाह अब्दाली ने आक्रमण करके इसे नष्ट कर दिया था, वे अवशेष आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इसके अलावा इस राज्य में पुराने जमाने में पाटलिपुत्र के नाम से मशहूर रहा पटना शहर अपने आप में एक इतिहास को समेटे हुए है। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर कई बड़े वंशों का साक्षी है। 

        पटना शहर में गोलघर समेत कई अन्य पर्यटन स्थल हैं। सिख धर्म के दसवें गुरु रहे गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली भी पटना शहर ही है। इसी प्राकर,राज्य के सबसे प्रमुख शहरों में बोधगया का स्थान आता है। इसी स्थान पर बोधि वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान मिला था। फल्गु नदी के किनारे स्थित इस शहर में महाबोधि मंदिर और गुफाओं समेत कई अन्य पर्यटन स्थल हैं जो कि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। हिन्दु, जैन और बौद्ध तीनों धर्मों के धार्मिक स्थल के लिए मशहूर राजगीर नामक स्थान को पहले राजगृह नाम से जाना जाता था। यह शहर मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी।

     मान्यता है कि महात्मा गौतम बुद्ध ने यहां कई वर्षों तक ठहर कर अपने उपदेश दिए थे। बौद्ध धर्म की पहली संगति भी यहीं मानी जाती थी। यहां पर वन्यजीव अभ्यारण्य और हिल स्टेशन भी विशेष दर्शनीय स्थल हैं। इनके अलावा, बिहार राज्य के सासाराम में शेरशाह सूरी का मकबरा,वैशाली के बौद्ध स्तूप, माता सीता की जन्मस्थली पूनौरा धाम तथा गोपालगंज में थाबे माता मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।

बिहार का राजनैतिक महत्व-

 बिहार राज्य का देश की राजनीति में भी विशेष महत्व है। बड़ा राज्य होने के कारण पूरे देश की नजरें इस पर टिकी रहती हैं। आपको बता दें कि बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह थे। वह साल 1946 ले लेकर साल 1961 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे थे। वहीं, वर्तमान में नितिश कुमार बिहारराज्य के सीएम हैं। वह साल 2015 से मुख्यमंत्री के पद पर हैं। 

राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री ने भी बिहार दिवस की बधाई दी- President and Prime Minister congratulate on Bihar Diwas

भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद तथा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज 12 मार्च को बिहार दिवस के अवसर पर शुभकामना संदेश दिया है। इस संदेश में उन्होंने कहा है कि बिहार राज्य का गौरवशाली अतीत रहा है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी है। यहां के कर्मठ लोगों ने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 



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