एक सीएम थे चौधरी चरण सिंह
यूपी ने एक से बढ़कर एक नेता दिए हैं. फिर चाहे उनका नाम ईमानदारी के लिए मिसाल के तौर पर लिया जाता हो या उनके कठिन फैसलों के लिए. ऐसे ही एक सीएम चौधरी चरण सिंह थे. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 4 चरण का मतदान (Voting) हो गया है. पूरे देश की निगाहें इस राज्य के चुनावों पर हैं, क्योंकि केंद्र सरकार में यूपी की राजनीति का दखल हमेशा से सबसे ज्यादा रहा है. इस चुनावी सरगर्मी के बीच यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों से जुड़े रोचक किस्सों की कड़ी में आज एक ऐसे मुख्यमंत्री (Chief Minister) के बारे में बात करते हैं, जिनकी ईमानदारी एक मिसाल की तरह है. उनकी ईमानदारी और सहजता ने ही उन्हें जननायक का दर्जा दिलाया. ये जननायक नेता हैं चौधरी चरण सिंह.हरिद्वार दौरे की है घटना
1967 में चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) यूपी के मुख्यमंत्री थे. उस समय उत्तराखंड यूपी का ही हिस्सा था. तब सीएम चरण सिंह एक दौरे पर हरिद्वार (Haridwar) आए थे और रात में उनके ठहरने का इंतजाम गंगा किनारे बने सर्किट हाउस में किया गया था. रात में जब रेजिडेंट मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर द्विवेदी ने जब सीएम के लिए खाना भिजवाया तो चौधरी चरण सिंह ने यह कहकर खाना लौटा दिया कि उनका व्रत (Fast) है इसलिए यह सब नहीं खा सकते.फिर भेजा गया व्रत का भोजन
सीएम के व्रत के बारे में पता चलते ही रेसिडेंट मजिस्ट्रेट ने उनके लिए व्रत का भोजन भिजवाया. रात में एक सरकारी मुलाजिम फल और गर्म दूध लेकर पहुंचा तब चौधरी साहब ने वह भोजन स्वीकार कर लिया. इसके बाद 2 दिनों तक चौधरी साहब इलाके के अफसरों, नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने में व्यस्त रहे. जब वापसी के लिए वे हरिद्वार स्टेशन पर ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में बैठ गए. तब उन्होंने संदेश भिजवाकर रेजिडेंट मजिस्ट्रेट को बुलवाया और उनके आते ही उन्हें एक चेक दिया.6 रुपये 25 पैसे का था चेक
रेजिडेंट मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर द्विवेदी ने जब चेक पर अपना नाम लिखा देखा, तो कुछ समझ नहीं पाए. वहीं उस चेक में अमाउंट की जगह केवल 6 रुपये 25 पैसे लिखा था. यह देख चौधरी साहब बोले कि मेरा उस दिन व्रत था. आपने जो दूध और फल भेजे थे, उनका मूल्य 6 रुपये 25 पैसे था. यह उसी का चेक है. तब आरएम द्विवेदी बोले कि यह तो हमारा फर्ज था. लेकिन चौधरी साहब नहीं माने और बोले आपने मेरे व्रत की अहमियत समझकर इतनी रात को मेरे लिए फलाहार की व्यवस्था की, यही काफी है. आपको यह चेक लेना ही होगा. आज भी यह किस्सा जब लोगों को याद आता है तो वे अनायास ही ऐसे ईमानदार नेता की तारीफ कर बैठते हैं, जिसने अपने दूध और फल का पैसा भी अपनी जेब से दिया. जबकि आज के नेता करोड़ों रुपये बिना डकारे हड़प लेते हैं.
Tags:
खास स्टोरी