क्या है “कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव” ?
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर 7 मार्च 2022 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और यूनीसेफ के साथ मिलकर औपचारिक शिक्षा/या कौशल प्रणाली की तरफ किशोरियों को वापस स्कूल लाने के लिये एक अभूतपूर्व अभियान ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ का शुभारंभ किया था।
इस कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव का उद्देश्य स्कूलों में 11-14 आयुवर्ग की लड़कियों का पंजीकरण बढ़ाना और उन्हें स्कूल में कायम रखना है।
इस पहल की मंशा यह है कि किशोरियों के लिये योजनाओं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी वर्तमान योजनाओं के आधार पर स्कूली लड़कियों के लिये एक समग्र प्रणाली बनाई जाये।
इसका लक्ष्य है स्कूल छोड़ने वाली चार लाख से अधिक किशोरियों को योजनाओं का लाभ देना है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी द्वारा “कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव” के नाम से शुरू किए गए महत्वकांक्षी अभियान की बदौलत आज 1 लाख बच्चियां शिक्षा की मुख्य धारा में शामिल हो चुकी हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री इंदीवर पाण्डेय ने बताया कि सभी राज्यों के 400 से अधिक जिलों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत निधि दी जायेगी।
क्या है “पोषण ट्रेकर एप्प” ?
महिला एवं बाल मंत्रालय द्वारा नवजात शिशुओं से लेकर छह साल तक के बच्चों तक और गर्भवती महिलाओं से लेकर दूध पिलाने वाली माताओं तक का सारा डाटा पोषण ट्रैकर एप पर एकत्रित किया जाता है , इससे कुपोषित बच्चों का पता लगाया जा सकता है।
मंत्रालय के अनुसार, भारत में 33 लाख से अधिक कुपोषित बच्चे हैं। यह आंकड़ा पोषण ट्रैकर से रिपोर्ट किया गया, जिस पर आंगनवाड़ियों द्वारा सीधे नंबर दर्ज किए जाते हैं और केंद्र सरकार द्वारा एक्सेस किया जाता है।
सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे किस राज्य के हैं ?
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार आधे से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित श्रेणी में हैं। पुरे देश में इस सूची में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात शीर्ष पर हैं।
एक अनुमान के अनुसार, 14 अक्टूबर, 2021 तक भारत में 17,76,902 गंभीर रूप से तीव्र कुपोषित (severely acute malnourished – SAM) बच्चे और 15,46,420 मध्यम तीव्र कुपोषित (moderately acute malnourished – MAM) बच्चे हैं।
इस संख्या का पता पोषण ट्रैकर एप्प पर पंजीकृत किए गए बच्चों से लगा है। नवंबर 2020 और 14 अक्टूबर, 2021 के बीच गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या में 91% की वृद्धि देखी गई। यह संख्या अब 9,27,606 से बढ़कर 17.76 लाख हो गई है।
मंत्रालय द्वारा “पोषण ट्रेकर एप्प” के माध्य़म से जिस प्रकार प्रवासी मजदूरों के बच्चों को आंगनबाड़ी की सुविधा प्रदान की जा रही उससे बच्चों के पोषण स्तर में सुधार में आशातीत मदद मिल रही है।