कब है मनाते हैं पारसी नववर्ष
पारसी नववर्ष वर्ष में 2 बार मनाया जाता है। पहला 21 मार्च को और दूसरा 16 अगस्त को। पहले की शुरुआत शाह जमशेदजी ने की थी, जिसे फासली पंथ मनाजा है और जिसे 'नवरोज' कहा जाता है जबकि दूसरा 16 अगस्त को मनाया जाने वाला नववर्ष शहंशाही है। हालांकि दोनों ही दिन सभी पारसी मिलकर यह नववर्ष मनाते हैं।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पारसी नव वर्ष की पूर्व संध्या पर सभी देशवासियों को बधाई दी है। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा “पारसी नव वर्ष के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों विशेषकर अपने पारसी भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूं। पारसी समुदाय ने अपनी कड़ी मेहनत, लगन और उद्यमिता के माध्यम से हमारे राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारत की समावेशी संस्कृति सभी देशवासियों को परस्पर मिल-जुल कर रहने की प्रेरणा देती है। मेरी कामना है कि पारसी नव वर्ष का यह विशेष अवसर हम सभी के जीवन में समृद्धि, शांति और सद्भाव लेकर आए तथा आपसी भाईचारे के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करे।”
पारसी न्यू ईयर कब मनाया जाता है ?
हर धर्म का अपना अलग महत्व है. पारसी समुदाय में भी इसी तरह कई फेस्टिवल मनाए जाते हैं. आज यानी 21 मार्च को देशभर में पारसी न्यू ईयर नवरोज मनाया जा रहा है. हर धर्म का अपना अलग महत्व है.
पारसी न्यू ईयर का मतलब क्या होता है ?
अगस्त माह में पारसी समाज का नववर्ष मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 18 अगस्त 2015 को मनाया जा रहा है। पारसी नववर्ष को 'नवरोज' कहा जाता है। बदलते वक्त ने पारसी धर्म में भी जिंदगी ने कई खट्टे-मीठे अनुभव कराए, लेकिन हमारे संस्कार ही हैं जिसके दम पर आज भी अपने धर्म और इससे जु़ड़े रीति-रिवाजों को संभाले हुए हैं।
नवरोज त्योहार कहाँ मनाया जाता है ?
प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नौरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं।