क्या है स्वामित्व योजना
स्वामित्व (सर्वे ऑफ विलेजेस एंड मैपिंग विद इम्प्रोवाइज्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरियाज़) – इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर किया था।
इसका संकल्प था कि गांवों के हर गृहस्वामी को “मालिकाना दस्तावेज” प्रदान करके ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति को सक्षम बनाना।
पहला चरण – प्रायोगिक योजना (अप्रैल 2020 – मार्च 2021): इसके दायरे में हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, आंध्रप्रदेश राज्य हैं।
साथ ही हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब और राजस्थान में निरंतर परिचालन संदर्भ प्रणालियों (कंटिन्यूअस ऑप्रेटिंग रेफेरंस सिस्टम्स - सीओआरएस) की प्रतिस्थापना को भी रखा गया।
दूसरा चरण (अप्रैल 2021 – मार्च 2025): वर्ष 2025 तक शेष बचे गांवों का आमूल सर्वेक्षण और 2022 तक देशभर में सीओआरएस नेटवर्क की स्थापना।
वर्ष 2022 के दौरान स्वामित्व योजना की उपलब्धियां
दिसंबर 2022 के अनुसार 2,03,118 गांवों में ड्रोन उडानें पूरी। दादर और नगर हवेली तथा दमन व दियू, दिल्ली, हरियाणा, लक्षद्वीप, पुदुच्चेरी, उत्तराखंड, गोआ, अंडमान व नीकोबार में ड्रोन उड़ानें सम्पूर्ण।
हरियाणा और उत्तराखंड के सभी आबाद गांवों के लिये संपत्ति कार्ड तैयार। स्वामित्व कार्डों की तैयारी और वितरण का काम जल्द ही केंद्र शासित प्रदेश पुदुच्चेरी में पूरा हो जायेगा।
ई-ग्राम स्वराज ई-वित्तीय प्रबंधन प्रणाली
पंचायती राज संस्थानों में ई-शासन को मजबूत करने के लिये ई-ग्राम स्वराज नामक एक सरलीकृत कार्याधारित लेखांकन एप्लीकेशन को 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर आरंभ किया गया था। इसे ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) के तहत सभी एप्लीकेशनों के तत्त्वों को मिलाकर विकसित किया गया है।
ई-ग्राम स्वराज, पंचायती राज संस्थानों को निधियों पर ज्यादा अधिकार देकर पंचायतों की साख बढ़ाता है। यह विकेंद्रीकृत आयोजना, प्रगति रिपोर्ट और कार्याधारित लेखांकन के जरिये बेहतर पारदर्शिता लाता है।
इसके अलावा, एप्लीकेशन उच्च प्राधिकारों के लिये कारगर निगरानी करने का मंच भी उपलब्ध कराता है।
ई-ग्राम स्वराज में लाभार्थियों के विवरण का एकीकरण
पंचायतों को शक्तिसम्पन्न बनाने और पारदर्शिता में बढ़ोतरी करने के लिये पंचायती राज मंत्रालय विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के लाभार्थियों के विवरणों को ई-ग्राम स्वराज एप्लीकेशन के साथ एकीकृत करने का काम करता रहा है।
यह सूचना ग्राम पंचायतों को उपलब्ध करा दी जायेगी, ताकि पुष्टि के लिये ग्राम सभाओं में पेश की जा सके। यह प्रमाणीकरण डिजिटलकरण और जनभागीदारी के जरिये दायित्व सुनिश्चित करने का महत्त्वपूर्ण पड़ाव होगा।
संपदाओं की जियो-टैगिंग
कारगर निगरानी के अंग के रूप में, मौके पर जाकर काम की प्रगति की निगरानी जरूरी है। इसके अलावा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये अन्य काम, संपदाओं की जियो-टैगिंग (काम पूरा हो जाने पर) बहुत महत्त्वपूर्ण है।
मंत्रालय ने एम-ऐक्शनसॉफ्ट मोबाइल आधारित समाधान तैयार किया है। इसकी मदद से संपदाओं सम्बंधित कार्यों के लिये जियो-टैग (यानी जीपीएस कोऑर्डिनेट्स) के साथ फोटो खींचने में मदद मिलेगी। संपदाओं की जियो-टैगिंग तीनों चरणों में की गई, यानी 1) काम शुरू होने से पहले, 2) काम के दौरान और 3) काम पूरा हो जाने पर।
इससे प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जल संरक्षण, सूखे का सामना, स्वच्छता, कृषि, बांध और सिंचाई नहरें, आदि से जुड़े समस्त कार्यों व सम्पदाओं की सूचना प्राप्त होगी।
प्रगति (दिसंबर 2022 के अनुरूप): वर्तमान वित्तवर्ष में 15वें वित्त आयोग के तहत चलाई जाने वाली गतिविधियों के लिये ग्राम पंचायतों द्वारा सम्पदाओं के 2.05 लाख फोटोग्राफ अपलोड किये गये।