ट्विटर को खरीदने की सोच रहे टेस्ला के सीईओ ईलॉन मस्क

टेड कॉन्फ्रेंस में नज़र आए ईलॉन मस्क टेस्ला के सीईओ ईलॉन मस्क ने ट्विटर और उसके बहाने से फ्री स्पीच को लेकर एक बहस छेड़ दी है। पहले तो उन्होंने ट्विटर में 9.1 फ़ीसदी शेयर खरीदे और फिर अचानक से पूरी कंपनी को ही खरीदने का ऑफर कर दिया। 



जिस दिन उन्होंने ट्विटर को खरीदने की बात कही, उसी दिन वह कनाडा के वैंकूवर में टेड कॉन्फ्रेंस में नज़र आए। टेड के हेड क्रिस एंडरसन के साथ इंटरव्यू में मस्क ने बताया कि ट्विटर को खरीदने की सोच के पीछे असल में है क्या। मस्क ने कहा, 'मुझे लगता है कि फ्री स्पीच के लिए एक समावेशी जगह होनी चाहिए। ट्विटर एक तरह का चौराहा बन गया है। 

ऐसे में यह ज़रूरी है कि हक़ीक़त में भी और लोगों का यह परसेप्शन भी रहे कि उन्हें क़ानून के दायरे में बोलने की आज़ादी है।' मस्क ने माना कि सिविलाइजेशन के भविष्य के लिए ऐसे पब्लिक प्लैटफॉर्म की ज़रूरत है, जिस पर अधिकतम भरोसा किया जा सके और जो सबको साथ लेकर चलने वाला हो। टेस्ला सीईओ ने अपने इंटरव्यू में इस बात पर पूरा जोर दिया कि ट्विटर पर कही जाने वाली बातों पर बहुत नियंत्रण नहीं होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने पारदर्शिता लाने की बात कही। 

मस्क के मुताबिक, माइक्रो ब्लॉगिंग साइट को ओपन-सोर्स एल्गोरिदम करना चाहिए। अगर कोई अपने ट्वीट में बदलाव करना चाहता है या नहीं करना चाहता है, तो यह सब कुछ सामने हो। पर्दे के पीछे कोई खेल न चले। बाद में उन्होंने एक उपाय सुझाया कि एल्गोरिदम को कहीं दिखाया जा सकता है, जैसे कि गिटहब। इससे लोग कोई गड़बड़ी देख सकेंगे और बदलाव के बारे में सुझाव दे पाएंगे। मस्क ने कहा कि ट्विटर पर क्या बोला जा सकता है और क्या नहीं, इस पर बहुत कम नियंत्रण होना चाहिए। 

सोशल मीडिया साइट्स पर आरोप लगते हैं हेट स्पीच को बढ़ावा देने के। फेसबुक हो या ट्विटर, सभी के पास हज़ारों लोगों की टीम है, जो इस पर नज़र रखती है कि क्या सही है और क्या ग़लत? पब्लिक प्लैटफॉर्म पर क्या जाना चाहिए और क्या नहीं? लेकिन मस्क ने इन बातों का फैसला एल्गोरिदम पर छोड़ने की बात कही। उनके मुताबिक, अगर किसी विषय पर कोई संदेह है, तो वह ट्वीट जाना चाहिए। उन्होंने फ्री स्पीच का पैमाना बताया, 'कोई ऐसा, जिसे आप पसंद नहीं करते, कोई ऐसी बात कहे, जो आपको पसंद नहीं। यही फ्री स्पीच है।' इस इंटरव्यू के दौरान मस्क के एडिट बटन वाले आइडिया पर भी बात हुई। 

इस बटन को लेकर हाल में काफी चर्चा हुई है। इसके पीछे मस्क की असल सोच क्या है, उन्होंने ख़ुद बताई, 'जब आप कोई ट्वीट कर देते हैं, तो उसके कुछ ही वक़्त तक एडिट फंक्शन उपलब्ध रहेगा। इस तरह अगर आपने ट्वीट करने के बाद कोई टाइपिंग एरर देखा, तो उसे सही कर सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं होगा कि ट्वीट करने के कई दिनों बाद या महीनों बाद आकर कोई बदलाव कर पाएं।' मस्क ने इस बात पर जोर दिया कि ट्विटर पर किसी पर हमेशा के लिए पाबंदी लगाने का क़दम बहुत ही कम उठाया जाना चाहिए। 

इंटरव्यू के दौरान मस्क के ऑफर पर भी सवाल आया और उनका कहना था, डील पर आगे बढ़ने के लिए मेरे पास पर्याप्त धन है। करीब चार पहले ऐसी ही एक डील के चलते ईलॉन मस्क सुर्खियों में आए थे। बात 2018 की है, जब टेस्ला को लेकर मस्क ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। वह कंपनी को प्राइवेट करना चाहते थे मतलब शेयरहोल्डर्स से सारे शेयर खरीदना चाहते थे मस्क। उन्होंने ऐलान किया कि इसके लिए फंड का इंतज़ाम हो गया है। शेयरहोल्डर्स की वोटिंग बची है केवल। 

मस्क ने 18 फ़ीसदी प्रीमियम पर शेयर खरीदने की बात कही थी। इस पर अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमिशन की भौहें तन गईं। अमेरिकी मार्केट रेगुलेटरी एजेंसी ने आरोप लगाया कि ईलॉन मस्क ग़लतबयानी कर रहे हैं। उस मामले में उन्हें दो करोड़ डॉलर का फाइन भरना पड़ा और कंपनी की चेयरमैन पोस्ट से हटना पड़ा। मस्क ने उस मामले को खोलते हुए दावा किया कि उन पर झूठे आरोप लगाए गए थे और उन आरोपों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया गया। उस समय टेस्ला की वित्तीय स्थिति नाजुक थी। 

'सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमिशन के ऑफिसर जानते थे कि फंडिंग सिक्योर्ड है, लेकिन उन्होंने बिना बात की सार्वजनिक जांच शुरू कर दी। टेस्ला को बचाने के लिए मुझे झूठ बोलने पर मजबूर किया गया।' 'आईएम कंसिडरिंग टेकिंग टेस्ला प्राइवेट एट 420 डॉलर। फंडिंग सिक्योर्ड।' मस्क का यही ट्वीट था, जिससे पूरा विवाद शुरू हुआ। ट्विटर को खरीदने के ऑफर को लेकर भी 'फंडिंग सिक्योर्ड' का सवाल उठाया गया। इस बार मस्क का जवाब था कि अगर ऑफर आगे नहीं बढ़ पाता है, तो प्लान बी भी है। लेकिन वह प्लान बी क्या है? 'शायद इसके बारे में आगे कभी बताऊंगा।'

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