सूरजकुंड (फरीदाबाद), 02 फरवरी। भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने शुक्रवार को फरीदाबाद में हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, हरियाणा के पर्यटन मंत्री कंवर पाल व केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की गरिमामयी उपस्थिति में 37वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले का रिबन काटकर विधिवत रूप से शुभारंभ किया.
मेले के शुभारंभ अवसर पर राष्ट्रपति ने मेला परिसर में हरियाणा की अपना घर पवेलियन का दौरा किया और हरियाणवी संस्कृति की झलक बिखेर रहे यंत्रों की बारीकी से जानकारी भी ली। राष्ट्रपति ने मेला के थीम स्टेट गुजरात राज्य के स्टॉलों का अवलोकन करते हुए शिल्पकारों से भी संवाद किया। साथ ही मेले के सहभागी देशों व प्रदेशों की सांस्कृतिक विधा को भी देखते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया।
परिसर की मुख्य चौपाल के मंच से राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्य अतिथि ने मेले में भागीदार देश संयुक्त गणराज्य तंजानिया के कारीगरों और शिल्पकारों सहित अन्य भागीदार शिल्पियों को बधाई देते हुए शिल्पकला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रोत्साहित किया।
सांस्कृतिक विरासत का संगम है सूरजकुंड मेला : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने मुख्य चौपाल से दिए संदेश में कहा कि सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला दुनिया की समृद्ध हस्तकला, हथकरघा, परंपरा, विरासत और संस्कृति का अनूठा संगम है, जो भारत के ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला पिछले 36 वर्षों से शिल्पकारों और हथकरघा कारीगरों को अपना हुनर प्रदर्शित करने का बेहतरीन मंच रहा है।
यह मेला विभिन्न अंचलों की लोक-कलाओं, लोक-व्यंजनों, लोक-संगीत, लोक-नृत्यों और वेशभूषा से रूबरू करवाता है।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने मेले के भव्य आयोजन के लिए हरियाणा सरकार विशेषतौर पर मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल व उनकी पूरी टीम सहित केंद्रीय पर्यटन, वस्त्र, संस्कृति और विदेशी मामले मंत्रालयों और सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन कलाओं को सहेजते हुए उन्हें जीवंत बनाये रखने में हस्तशिल्पियों का अहम रोल है।
सांस्कृतिक पहलुओं के समावेश का केंद्र बिंदू है सूरजकुंड : राज्यपाल
हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने राष्ट्रपति का प्रदेश की इस सांस्कृतिक धरा पर पहुंचने पर अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि सूरजकुंड मेला सांस्कृतिक पहलुओं के समावेश का केंद्र बिंदू है।
उन्होंने प्रदेश सरकार व मेला अथॉरिटी को बधाई देते हुए कहा कि मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में हस्तशिल्प और हथकरघा का महत्वपूर्ण योगदान है। इन कलाओं को आधुनिक युग में भी उतना ही पसंद किया जाता है, जितना प्राचीन काल में किया जाता था।
अत: इस तरह के मेले शिल्पकारों को अपनी पसंद व कला के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करते हैं। यह मेला दुनिया के शिल्पकारों और हस्तशिल्पकारों के लिए बड़ा मंच बन चुका है।
उन्होंने बताया कि विगत मेले में 14 लाख से अधिक लोगों ने सूरजकुंड मेले का भृमण किया था और इस बार भी सांस्कृतिक विधा को देखने लाखों लोग पहुंचेंगे।
आत्मनिर्भरता के साथ विकसित भारत की परिकल्पना को साकार कर रहा है हरियाणा : मुख्यमन्त्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा प्रदेश आत्मनिर्भरता के साथ विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में अपना दायित्व निभा रहा है।
उन्होंने बताया कि आज हम 37वें अंतरराष्ट्रीय हस्त शिल्प मेले में गौरवांवित महसूस कर रहे हैं कि देश की राष्ट्रपति के कर कमलों द्वारा इस मेले का आगाज हुआ है।
उन्होंने बताया कि हस्तशिल्पियों द्वारा बनाई गई कलाकृति और हस्तशिल्प आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना को निरूपित करती हैं।
उन्होंने कहा कि शिल्प कला को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में समय-समय पर विख्यात शिल्पकारों को आमंत्रित कर गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं। उन्होंने कहा कि देश की विविधता में एकता का संदेश सूरजकुंड मेले में देखने को मिलता है।
हरियाणा में शिल्पकार को मिल रहा है उचित मंच : पर्यटन मंत्री
हरियाणा के विरासत एवं पर्यटन मंत्री कंवरपाल ने कहा कि प्रदेश में शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए सरकार शिल्पकारों को विशेष मंच प्रदान कर रही है।
इस अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के अलावा जिला स्तर पर सरस मेले लगाए जाते हैं, जिनमें शिल्पकारों और बुनकरों को अपनी हस्तशिल्पों का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है।
कुरुक्षेत्र में हर साल अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर भी भव्य सरस मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर के शिल्पकार शामिल होते हैं।
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 18 फरवरी को 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
यह मेला गत 2 फरवरी को शुरू हुआ था। जिसमें देश-विदेश के शिल्पकारों ने अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया तथा देशी-विदेशी कलाकारों ने अपनी संस्कृति की झलक बिखेरी।