क्या है अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास “मधुमास” ?

 क्या है अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास “मधुमास” ?



गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर 3 जुलाई 2023 को भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एक अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास 'मधुमास' का उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के कर कमलों द्वारा किया गया। 

इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक एवं सचिव डेयर उपस्थित थे।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अनुसंधान, शिक्षा और शिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान टीम की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा हासिल करने में भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान  के योगदान का पूरा विश्व सम्मान करता है। 

संस्थान की अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा और छात्रों की बढ़ती नामांकन दर को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार की बहुमूल्य मदद से उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाओं और अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाले छात्र-केंद्रित छात्रावासों का निर्माण किया जा रहा है। 

उन्होंने आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास “मधुमास” के निर्माण एवं लोकार्पण के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने बताया कि छात्रावास में 504 छात्र रह सकते हैं जिसमें 400 एकल बिस्तर वाले कमरे शामिल हैं; बाथरूम और रसोई के साथ 56 सिंगल बेड वाले कमरे और 48 पारिवारिक अपार्टमेंट हैं। 

छात्रावास परिसर में फूड कोर्ट, व्यायामशाला, रेस्तरां, सौर ऊर्जा प्रणाली, वर्षा जल संचयन प्रणाली, जनरेटर आधारित पावर बैक अप, वाई-फाई नेटवर्क आदि हैं। उन्होंने कहा कि सफलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से ज्ञान प्राप्त करने के लिए भोजन और रहने की अच्छी व्यवस्था की ज़रूरत है।

 विशेषकर यदि छात्र विदेश से आते हैं तो उनके लिए विशेष व्यवस्था की आवश्यकता होती है जैसे पारिवारिक आवास, स्वदेशी भोजन, आधुनिक उपकरणों का उपयोग, व्यायामशाला आदि।

केंद्रीय राज्य मंत्री, श्री कैलाश चौधरी ने अपने संबोधन में अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास के निर्माण पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इसके द्वारा भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान को वैश्विक मानकों के साथ एक बहु-विषयक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित होने में मदद मिलेगी।

 उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित उन्नत फसल किस्मों और प्रौद्योगिकियों का उल्लेख करते हुए देश के लिए संस्थान के योगदान की सराहना की जिसने भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा को साकार करने में योगदान दिया है।

 उन्होंने चार विषयों में स्नातक कार्यक्रम, यथाबी.एससी. (कृषि), बी.टेक. (कृषि अभियांत्रिकी), बी.टेक. (जैव प्रौद्योगिकी) और बी.एससी. (सामुदायिक विज्ञान) शुरू करने के लिए संस्थान के निदेशक को बधाई दी।

 उन्होंने कहा कि इससे उच्च शिक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण जनशक्ति विकसित करने में मदद मिलेगी और साथ ही युवा छात्रों की उपस्थिति परिसर को और अधिक जीवंत बनाएगी। 

उन्होंने कहा कि जिन छात्रों को संस्थान में दाखिला मिला है, उन्हें कृषि से जुड़ी नई तकनीकें सीखनी चाहिए और बेहतर खाद्य उत्पादन और उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए अपने गांवों में लागू भी करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अमृत काल में संस्थान को कृषि के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान के उच्च मानकों के साथ खुद को एक वैश्विक विश्वविद्यालय बनाने के लिए आगे बढ़ना है और यह अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास इस सपने को साकार करने की दिशा में एक उपयुक्त कदम होगा। 

उन्होंने जलवायु परिवर्तन और कृषि के सामने बढ़ती खाद्य मांग सहित चुनौतियों और वैज्ञानिकों की बढ़ती जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला, लेकिन यह भी विश्वास जताया कि भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान (आई.ए.आर.आई ) इन मुद्दों को संबोधित करने में सफल होंगे।

कार्यक्रम के आरंभ में महानिदेशक एवं सचिव डेयर डॉ. हिमांशु पाठक ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और नई शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में आई.सी.ए.आर की भूमिका और भारत में कृषि शिक्षा को मजबूत करने में आई.ए.आर.आई के योगदान के बारे में जानकारी दी।

 उन्होंने भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान (आई.ए.आर.आई)  के गौरवशाली अतीत के बारे में बताया और इस बात पर प्रकाश डाला कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने कृषि के विकास में बहुत योगदान दिया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश में कृषि विकास के विभिन्न आयामों में आईएआरआई का योगदान अभूतपूर्व रहा है। 

आईएआरआई के पूर्व छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में कई प्रतिष्ठित पदों के अलावा विश्व खाद्य पुरस्कार के साथ-साथ पद्म पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 

उन्होंने नीम लेपित यूरिया के साथ-साथ फसलों, बागवानी, तिलहनों में विभिन्न किस्मों के विकास जैसी अनुसंधान गतिविधियों में आईएआरआई के योगदान पर भी प्रकाश डाला।

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