क्या है जंगम जोगी परंपरा

 क्या है जंगम जोगी परंपरा 



What is Jangam Jogi tradition : जंगम जोगी परंपरा : युवा पीढ़ी अगर परंपरा को जिंदा रखने के लिए आगे आए तो यह गौरव की बात है। ऐसा ही उदाहरण अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र , हरियाणा में कालका से पहुंची जंगम जोगी की पार्टी पेश कर रही है। 

इस पार्टी में शामिल 6 कलाकारों में से 3 युवा कलाकार हैं, जो पेशे से पेंटर हैं लेकिन अपनी पुश्तैनी परंपरा को जिंदा रखने के लिए जंगम जोगी के भजन गुनगुना रहे हैं। 

इन सभी जंगम जोगी कलाकारों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का धन्यवाद किया कि अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती जैसे महोत्सव आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे उन जैसे कलाकारों को एक मंच मिल रहा है।

कालका से जंगम जोगी की पार्टी लेकर कुरुक्षेत्र आए कृष्ण कुमार का कहना है कि आज के युवा पढ़ाई-लिखाई करने के बाद नौकरी या अपना काम शुरू कर देते हैं। चुनिंदा ही ऐसे होते हैं, जो अपनी पुश्तैनी परंपरा को बनाए रखने के लिए प्रयास करते हैं और जंगम जोगी के भजन गाना शुरू करते हैं। 

इन्हीं में से 22 वर्षीय मनीष, 24 वर्षीय अभिषेक और 26 वर्षीय अरूण जो जंगम जोगी हैं। कृष्ण कुमार ने बताया कि तीनों कलाकार रोजी रोटी चलाने के लिए तो पेंटर हैं लेकिन उन्होंने जंगम जोगी की परंपरा को भी अपनाया। उन्होंने शिव स्तुति सीखी और भजनों के माध्यम से समाज में उजियारा फैला रहे हैं।  

गीता जयंती महोत्सव में देखने को मिल रही यही जंगम जोगी की परंपरा 

कृष्ण कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी में तीन युवा हैं तो उन्हें मिलाकर तीन बुजुर्ग कलाकार भी हैं। गीता जयंती जैसे आयोजन होने से उन्हें काम मिलता है। इससे वे अपनी परंपरा का प्रचार-प्रसार करते हैं। 

इन सभी कलाकारों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने गीता जयंती का स्वरूप बदला और इसे सिर्फ कुरुक्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश और विदेश में भी मनाने का निर्णय लिया। 

इस फैसले से प्रदेशभर में जिलास्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पिछले कई वर्षों से उन्हें अलग-अलग जिलों में गीता जयंती कार्यक्रमों में जंगम जोगी की परंपरा को दिखाने का अवसर मिल रहा है।

शिव के भजनों का करते हैं गुणगान जंगम जोगी कलाकार


जंगम जोगी कलाकार कृष्ण ने बताया कि वे भगवान शिव की स्तुति करते हैं। इसमें उनकी कथा सुनाई जाती है, जिसमें शिव विवाह से लेकर उनके अमरनाथ तक जाने की पूरी कहानी गीतो के माध्यम से प्रस्तुत होती है। कृष्ण ने बताया कि इन गीतों और भजनों को सीखने के लिए कई-कई महीने निरंतर अभ्यास किया जाता है।


एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link in comments box

और नया पुराने